21अगस्त 2024 दिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण के संबंध में दिए गए फैसले के विरोध में भारत बंद के आह्वान का समर्थन में अखिल भारतीय गोड़ समाज 18 गढ़ सुवरमार राज के नेतृत्व में समर्थन किया जाना है।* *इस संबंध तहसील कोमाखान एवं थाना प्रभारी कोमाखान को ज्ञापन सौंपा गया। साथ ही कोमाखान के व्यापारी एवं व्यवसाइयों को बंद का समर्थन करने की अपील की गई।.*
*कल दिनांक 21अगस्त 2024 दिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण के संबंध में दिए गए फैसले के विरोध में भारत बंद के आह्वान का समर्थन में अखिल भारतीय गोड़ समाज 18 गढ़ सुवरमार राज के नेतृत्व में समर्थन किया जाना है।*
*इस संबंध तहसील कोमाखान एवं थाना प्रभारी कोमाखान को ज्ञापन सौंपा गया। साथ ही कोमाखान के व्यापारी एवं व्यवसाइयों को बंद का समर्थन करने की अपील की गई।.*
*क्षेत्र के समस्त एसटी एससी भाई बहनों से विनम्र अपील है कि उक्त आंदोलन में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होकर शांतिपूर्ण ढंग से आह्वान को सफल बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान देने की कृपा करें।*
*21 अगस्त भारत बंद का समर्थन क्यों जरुरी है ?*
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को दिए गए फैसले अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कोटे के अंदर कोटा और कोट के अंदर क्रीमी लेयर निर्धारित करने का अधिकार राज्यों को देने निर्णय पारित किया है, इस निर्णय से देश भर के अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग प्रभावित हो रहे हैं । वास्तव में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के भीतर वर्गीकरण करने का अधिकार राज्यों को नहीं है, क्योंकि आर्टिकल 341 (2) एवं 342 (2) यह अधिकार देश के सांसद को देता है और यही बात ई वी चिनौया मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 2005 में कहा था और यही बात पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले में 1 अगस्त 2024 के निर्णय में 7 जजों में से एक जज अन्य 6 जजों के फैसले से असहमति जताते हुए अपना निर्णय उपवर्गीकरण और क्रीमीलेयर के खिलाफ दी है। एससी एसटी वर्ग के भीतर वर्गीकरण का यह अधिकार राज्यों को देने से एक वर्ग के भीतर ही नया संघर्ष से शुरू हो जाएगा एवं पुनः NFS(NOT FOUND SUITABLE) का दौर शुरू हो जाएगा। भविष्य में बगैर भरी रिक्त सीट सामान्य कोटे में अघोषित रूप से तब्दील हो जायेगी। एससी एसटी के भीतर ओबीसी की तरह क्रीमी लेयर लागू होने से यह वर्ग दो भागों में बंट जाएगा। मुख्यधारा की ओर थोड़ा आगे बढ़ रहे है वे क्रिमि लेयर के दायरे में आ जाएंगे। यह वर्ग प्रतियोगिता में शामिल होने के पहले ही अघोषित रूप से बाहर हो जायेगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देश के 100 सांसदों ने देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। अगले दिन अखबार में आया कि पीएम एससी,एसटी के भीतर क्रीमी लेयर लागू नही करेंगे,लेकिन उप वर्गीकरण पर चुप्पी साधे है।यह केवल कोरा आश्वाशन है।
उधर गठबंधन अलायंस वाले भी चुप्पी साधे है,,वोट तो संविधान और आरक्षण के नाम पर मांगे है,लेकिन जब आरक्षण पर बात आई तो मुंह में दही जमाकर बैठे है,,ये दोहरा चरित्र नही चलेगा।
मशहूर शायर राहत इंदौरी जी अक्सर कहा करते थे कि हमारे पैर का कांटा हम ही से निकलेगा। इसलिए 21 अगस्त भारत बंद का समर्थन देश भर के अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारी, युवा बेरोजगार,विद्यार्थी,किसान पंचायत एवं आंगनबाड़ी कर्मचारी सहित तमाम लोगों को करना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने आप में कानून है, इसे केवल संविधान संशोधन से ही बदला जा सकता है,कोरे आश्वासन से नहीं। यदि यदि संविधान संशोधन नहीं लाया गया तो इसका खामियाजा देश भर के अनुसूचित जाति जनजाति को भुगतना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अमल 1 सितंबर से शुरू हो सकता है।
कई राज्य पहले से ही वर्गीकरण करने को तैयार बैठी है।आंध्र प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र,कर्नाटक बिहार,राजस्थान, तमिलनाडु,तेलंगाना,2004 की गठबंधन केंद्रीय सरकार इत्यादि ने पहले उप वर्गीकरण करने कोशिश की थी, लेकिन ई वी चिनैया निर्णय ने इनके मनसुबो पर पानी फेर दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त के फैसले से ई बी चिनैया निर्णय को 7 जजों की बेंच ने पलट दिया
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले 6,7,8 फरवरी 2024 तीन चले सुनवाई में भारत सरकार के एडवोकेट एवम विभिन्न राज्यों की ओर से शामिल अधिवक्ताओं ने उप वर्गीकरण का समर्थन किया है।
*अब आगे आप सब को निर्णय करना है,,*
*मुंह छिपाना है या अपने अधिकार के लिए आगे बढ़ना है।*
*विनीत*
*अखिल भारतीय गोड़ समाज 18 गढ़ राज सुवरमार*
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